दिशा डिग्री कॉलेज, डूंगरपुर यह संस्थान सुबोध शिक्षण संस्थान के द्वारा स्थापित है। इस संस्थान की स्थापना 01जुलाई, 2017 को डूंगरपुर शहर में की गई। संस्थान की स्थापना का उद्देश्य इस जनजातीय क्षेत्र में उच्च शिक्षा को सुगम बनाना है। स्थापना के साथ ही हमने इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु कार्य करना प्रारंभ कर दिया। मात्र कला संकाय में शुरुआत के साथ पहले ही वर्ष में अधिकतम विद्यार्थियों का नामांकन कर जिले में अपनी अलग पहचान बना ली। समय के साथ आगे बढ़ते चले गए और आज आप सभी के साथ से यह संस्थान निरंतर प्रगति कर रहा है। आप सबके सानिध्य से आज महाविद्यालय में कला वर्ग की छात्र संख्या पुरे जिले में सबसे बेहतर है। साथ ही अन्य सामाजिक, सांस्कृतिक, प्रशासनिक और खेल स्पर्धाओं में भी महाविद्यालय अपना योगदान दे रहा है।
निदेशक की कलम से...
दिशा डिग्री कॉलेज में आपका हार्दिक अभिनन्दन और स्वागत है।
अलबर्ट आइन्स्टीन कहते हैं कि जो कुछ भी हमने स्कूल से सीखा है वो सबकुछ भूल जाने के बाद भी जो हमें याद रहता है, वही हमारी शिक्षा है।अर्थात शिक्षा जीवन की प्रशिक्षुता केवल शिक्षा मात्र नहीं हैं, बल्कि यह बुद्धि की शक्तियों का विकास, ह्रदय की शुचिता और स्व-अनुशाशन है। विद्यालयी शिक्षा के पश्चात उच्च शिक्षा प्राप्त करने का उद्देश्य एक व्यक्ति को ऐसे संसाधनों से सुसज्जित करना है जो उसका जीवन पर्यंत साथ दे, ऐसी आदतें विकसित करना है जो समय के साथ उसे जीवन की चुनोतियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करें।
देश में नवीन शिक्षा निति 2020 भी लागु हो चुकी है। ऐसे में दिशा डिग्री कॉलेज का लक्ष्य भी आपको न केवल परंपरागत सैद्धांतिक शिक्षा प्रदान करना है बल्कि आधुनिक परिप्रेक्ष्य में स्नातक शिक्षा के साथ-साथ आपके व्यक्तित्वनुरूप रोजगारोन्मुख धरातल पैदा करना है। इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु महाविद्यालय की अनुभवी और परिश्रमी व्याख्याताओं की टीम आपके अध्यापन और मार्गदर्शन के लिए सदैव तैयार है।
निदेशक
डॉ. सुबोधकांत नायक
डॉ. सुबोधकांत नायक
प्राचार्य की कलम से...
डूंगरपुर नगर के मध्य में
स्थित दिशा डिग्री कॉलेज में आप सभी का स्वागत ।
शिक्षा
एक साधन है जो न केवल हमारी आजीविका का साधन है, अपितु जीवन के प्रति दृष्टिकोंण को निर्मित करने मे मदद
करती है। जब विद्यार्थी उच्च शिक्षा की राह पकड़ता है तो वह इसी संशय में रहता है
कि क्या सही है और क्या ज्यादा सही है। अंग्रजी शिक्षा नीति ने भारतीय शिक्षा
पद्धति को बहुत हानि पहुंचायी है। हम जहां से चले थे, आज पुनः वहीं
पहुंचने की आवश्यकता है।
वर्तमान में रोजगार के बहुत सारे आयाम विद्यमान हैं,
आवश्यकता है उन आयामों को अपनाने की,
वहां तक पहुंचने की। जिसके लिए विद्यार्थियों को अपनी सोंच
का दायरा बढ़ाना होगा, नई
दिशाओं को चुनना होगा। इसके लिये महाविद्यालय और विविध पाठ्यक्रम उपयोगी हो सकते
हैं। संदीप माहेश्वरी ने कहा है कि जीवन एक क्रिकेट खेल है और प्रत्येक बॉल आपको
अवसर प्रदान करती है आप कभी आउट नहीं हो सकते जब तक की आप पिच पर हैं अतः
तरीके बदलीये। रटने की पद्धति आपको आंशिक सफलता दे सकती है लेकिन आपका बुनियादी
आधार तैयार नहीं होगा। अतः प्रत्येक विषयवस्तु को समझने का प्रयास किजिए। तकनीकी
शिक्षा के युग में कम्प्यूटर, अंग्रजी व अन्य कौशलों को विकसीत करने का प्रयास करते रहना
चाहीए।
आपके इस कार्य में दिशा डिग्री कॉलेज आपका पूर्ण सहयोग
करेगा। जैसा की कहावत है कि अच्छी शुरूआत आधा काम कर देती है। इस महाविद्यालय का
चयन करके आपकी अच्छी शुरूआत तो हो चुकी है।
प्राचार्य
डॉ. प्रियंका चौबीसा
डॉ. प्रियंका चौबीसा
No comments:
Post a Comment